सभा के बारे मे

'उत्तर प्रदेश साहित्य सभा'

1- प्रदेश के सभी भाषाओं के साहित्यकारों का आपस मे परिचय व मेलजोल बढ़ाना जिससे साहित्यिक आदान प्रदान हो सके।

2- उत्तर प्रदेश में प्रयोग की जाने वाली सभी भाषा बोलियों को एक मंच पर लाने का प्रयत्न करना व सभा की गतिविधियों के संचालन हेतु दान स्वरूप धन व चल, अचल संपत्ति अर्जित करना।

3- नवोदित और उदीयमान व युवा तथा स्नातक साहित्यकारों को प्रोत्साहन देने के लिए योजनाओं का संचालन।

4- शिक्षण संस्थाओं में साहित्यिक गतिविधियां कर विद्यार्थियों में साहित्य के प्रति रुचि जाग्रत करना।

5- ग्राम्यांचल के साहित्यकारों को प्रकाश में लाना।

6- विभिन्न सरकारी साहित्यिक संस्थानों से साहित्यकारों को जोड़ना व उनकी योजनाओं को साहित्यकारों तक पहुंचाने के लिए सेतु का कार्य करना

7- आर्थिक रूप से अशक्त साहित्यकारो की पुस्तकों के प्रकाशन में सहयोग करना

8- पुस्तक मेलों व साहित्यिक उत्सवों का आयोजन कर प्रतिभाओं को मंच देना

9- साहित्यकारों का सामूहिक बीमा करा कर उनको सुरक्षित भविष्य देने का प्रयत्न करना

10- साहित्यकारों के हित एवं कल्याण के लिए सरकार एवं अन्य सक्षम संस्थाओं प्रतिष्ठानों से संपर्क करना

11- आकस्मिकता या विपत्ति पड़ने पर साहित्यकारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का हर सम्भव प्रयत्न करना।

12- आयु समृद्ध साहित्यकारों की उचित मासिक पेंशन के लिए प्रयत्न करना

13- उत्तर प्रदेश सहित्यसभा द्वारा मेधावी विद्यर्थियों को साहित्यिक विषयों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने पर पुरस्कृत करना।

14- विभिन्न सम्मान समारोहों व प्रतियोगिताओं के माध्यम से साहित्यकारों में सृजन के प्रति रुचि जागृत करना

15- विभिन्न संगोष्ठियां एवं साहित्यिक सम्मेलन कर कविता एवं साहित्य की अन्य विधाओं को मंच के माध्यम से जन मानस तक पहुंचाना।

16- पुरानी एवं अनुभवी साहित्यकारों की पीढ़ी से नए साहित्यकारों का साक्षात्कार कराना एवं कार्यशालाओं का आयोजन करना।

17- प्रदेश के साहित्य एवं साहित्यकारों के उन्नयन के लिए हर सम्भव प्रयत्न करना, यथा पत्रिका का नियमित प्रकाशन करना।

18 – प्रदेश के 60 वर्ष से अधिक आयु के साहित्यकारों को रेल / बस में निःशुल्क तथा अन्य को 50% छूट के साथ यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयत्न करना।

19- साहित्यकारों को प्रत्येक जिले के सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा सुविधा हेतु प्रयास करना।

20- प्रदेश के प्रवासी साहित्यकारों (अन्य प्रदेशों व विदेशों में बसे) को भी उत्तर प्रदेश साहित्य सभा से जोड़ना।

21- प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भव्य साहित्य सभा भवन एवं अतिथि गृह का निर्माण जिससे अन्य जिलों से आने वाले साहित्यकारों के ठहरने की व्यवस्था हो सके।

22- साहित्यकारों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में शुल्क में छूट का प्रयास।

23 – काव्यपाठ और साहित्यिक संगोष्ठियों में मिले मानदेय को जी एस टी से मुक्ति का प्रयास।

24- साहित्यिक समारोहों के लिए सरकारी सभागारों /आयोजन स्थलों के किराए में 75% छूट का प्रयास

25- सरकारी सम्मानों में आयु के आधार पर साहित्यकार का चयन (यदि सम्मान या पुरस्कार की अर्हता पूर्ण करता हो तो) कराने की व्यवस्था पर प्रयास करना।

26- प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक आवासीय कालोनी का नाम साहित्यकार पुरम कराने व चौराहों और सड़कों का नामकरण जिले के साहित्यकारों के नाम से कराने हेतु सरकार से संपर्क करना।

27- किसी साहित्यकार की मृत्यु हो जाने पर उसकी पत्नी और परिवार को भरण पोषण हेतु आवश्यक सुविधाएँ मुहैया कराने का प्रयास करना।

28- गणतंत्रदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष एक झांकी साहित्यकारो को समर्पित कराने का प्रयत्न करना व स्वतंत्रता तथा गणतंत्र दिवस पर कविसम्मेलनों का आयोजन राजभवन सहित प्रत्येक जिले में आयोजित करने हेतु समन्वय का कार्य करना।

29 – प्रदेश की विधान परिषद में साहित्यकार संवर्ग के मनोनयन हेतु सरकार को परामर्श देना।

30- जिला स्तर पर पुस्तकालयों की स्थापना करना।

31- साहित्यिक आदान प्रदान के लिए प्रदेश के साहित्यकारों की अन्य प्रदेशों व विदेशों की यात्रा आयोजित करना व वहां के साहित्यकारों को उत्तर प्रदेश में आमन्त्रित करना।

32- प्राइवेट चिकित्सकों नर्सिंग होम्स से उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के सदस्यों का निशुल्क परामर्श हेतु व्यवस्था कराना और पैथालॉजी सेंटर्स में जांच पर समुचित छूट का प्राविधान कराना।

उ प्र साहित्य सभा - नियमावली

सदस्यता – उत्तर प्रदेश में जन्मे या उत्तर प्रदेश में निवास कर रहे साहित्यकार व साहित्यप्रेमी ही उत्तर प्रदेश सहित्यसभा के सदस्य बन सकते हैं।

सदस्यता के प्रकार व शुल्क

प्रधान संरक्षक

प्रदेश के किसी महत्वपूर्ण पदारूढ़ व्यक्ति को प्रधान संरक्षक बनाया जायेगा जो सभा के उन्नयन और विकास में सहयोगी हो। प्रदेश के राज्यपाल या मुख्यमंत्री को पदेन प्रधान संरक्षक बनने हेतु निवेदन किया जा सकता है।

मुख्य संरक्षक

प्रदेश में जन्मे किसी भी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों को मुख्य संरक्षक के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है जो आर्थिक सहयोग करने में सक्षम तो हो ही किन्तु साहित्य के प्रति कोमल भाव भी रखते हों।

संरक्षक

वरिष्ठ साहित्यकार और प्रदेश में जन्मे साहित्यप्रेमी व्यापारी / व्यवसायी / अधिकारी गण संरक्षक के रूप में शामिल किए जा सकेंगे।